Monday, October 25, 2010


मन खामोश... कुछ खुशी...कुछ कौतुहल...कुछ ऐसा अनुभव जो पहले कभी नहीं हुआ,, मेरा देश समझदार हो गया... न मंदिर टूटा न मस्जिद कहीं... न राम रोया न रहीम... हमने सांप्रदायिक सहिष्णुता को किताबों से बाहर जीया...रोटी ने तलवार को ललकारा... एक नया हिन्दुस्तान जन्मा..

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