- आज सभी समय नहीं होने का बहाना करते है. और समय को किसी न किसी परिमाण में नापते है. कोई घड़ी के कांटे से, तो कोई रेत के कणों से, तो काल, वर्ष, कालखंड से भी नापा जाता है. इसीलिय आज हरकोई समय की कीमत जनता है. जिससे समय पर काम करना भी चाहता है. लेकिन समय उस रेत की तरह होता है. जो हाथ से अनचाहे भी छुटती जाती है. समय की कीमत वाही जनता होगा जिसने अपनी सारी जिंदगी समय में नापी हो और किसे के इंतजार में.
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