रूपए को उसका चिन्ह मिल गया है. सदियों से चले आरहे रूपए को अबतक कोई निशान नहीं था. लेकिन अब इसे निशान के सात विशिष्ट पहचान मिल गई है. बाकायदा उसे आईडेंटिटी मिल गई है. लेकिन कोन कहता है रूपए की पहेचान नहीं थी ? अंधा भिखारी भी टटोलकर रूपए के सिक्के को पहचानता है. परखना है तो उसके कटोरेमे २५ से ५० पैसे का सिक्का डालकर देखिए उसका परा गर्म होजाएगा.
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