Friday, November 12, 2010

ओबामा की भारत यात्रा

अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा अपनी भारत यात्रा पूरी कर चुके हैं। वह राष्‍ट्रपति के रूप में देश से बाहर सबसे ज्‍यादा समय तक भारत में ही रहे हैं। उनकी इस यात्रा से भारत को शायद वह सब मिल गया, जिसकी उसे उम्‍मीद थी। पर अमेरिका भी खाली हाथ नहीं गया है। अमेरिका में बेरोजगारी और अपनी घटती लोकप्रियता की चुनौतियों से जूझ रहे ओबामा को दिल्‍ली में हुए व्‍यापारिक समझौते की बदौलत अमेरिका में 50000 से ज्‍यादा नौकरियां मिलेंगी। इस वक्‍त अमेरिका के लिए शायद सबसे जरूरी चीज यही है। शायद इसीलिए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता पीजे क्रोले ने कहा, ‘हमें लगता है कि ओबामा की भारत यात्रा से अमेरिका की जितनी भी उम्‍मीदें थीं, वे सब पूरी हो गईं।’

ओबामा ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में स्‍थायी सदस्‍यता के भारत के दावे को खुला समर्थन देकर और पाकिस्‍तान को आतंकवादी ठिकाने नष्‍ट करने व मुंबई हमलों के दोषियों को सजा दिलाने को कह कर भले ही सांकेतिक तोहफा दिया हो, लेकिन कूटनीतिक लिहाज से यह भारत के लिए काफी अहम है। वैसे भी, बिल क्लिंटन की यात्रा की तरह ओबामा की यात्रा के दौरान भारत याचक की मुद्रा में नहीं था। भारत के लिए यह कम बड़ी उपलब्धि नहीं रही कि अमेरिका जैसा सबसे ताकतवर मुल्‍क भारत को दुनिया की बड़ी ताकत के रूप में मान्‍यता दे गया और भारत के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने की उत्‍सुकता दिखा गया।

ओबामा की यात्रा के दौरान करीब 4400 करोड़ रुपये के जिन 20 व्‍यापारिक समझौतों पर दस्‍तखत हुए, वे भारत-अमेरिका के व्‍यापारिक रिश्‍तों की भावी रूपरेखा तय करने वाले हैं। भारत को अमेरिका द्वारा मिला महत्‍व दक्षिण एशिया में चीन और पाकिस्‍तान जैसे विरोधी देशों से निपटने में कूटनीतिक लिहाज से भारत के लिए टॉनिक का काम करेगा।